ये जिंदगी का झरना



ये जिंदगी का झरना
ना कोई किनारा,
ना कोई है मंजिल,
बहता चला गया,
ये  जिंदगी का झरना|

कई चोटे खाए,
कई दर्द झेले,
उम्मीदों के भंवर में,
बहता  चला गया ,
ये जिंदगी का झरना |

ना उम्मीदें  टूटी,
ना होसलें ही हरे ,
इस ज़िन्दगी ने हरदम,
नए खेल है खेले,
मुश्किल हैं राहें सारी,
छूटे कई  सहारे ,
यूँ मुश्किलों के मारे,
ख्वाबो के सहारे,
बहता चला गया ,
ये जिंदगी का झरना|
- दीप्ति

Comments

मुझे ये कविता बहुत अच्छी लगी! लिखते रहिये.
Rajesh Kumari said…
bahut pyari kavita.god bless you.

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