मुकम्बल फ़साना है दिल का यही, तुम किसी पे फ़िदा कभी होना नहीं| तुम्हारे दिल मैं है मोहब्बत अगर, तो अपने कदम पीछे करना नहीं, किनारे पे तुम जो रपट भी गये , तो ये जमाना तुम्हे छोड़ेगा नही| चाहते हो जो तुम ज़माने से , बचना ये मेरे प्यारे दोस्त, भूल से भी तुम प्यार करना नहीं, रस्ते हैं कठिन सच के सारे मगर, झूठ का साथ कभी देना नहीं| तेरे दिल में हैं अगर लाख गम , चेहरे पे सिकन कभी लाना नहीं, मुस्कुराते तू रहना सदा मेरे दोस्त, मुझसे कभी गम छुपाना नहीं \ दोस्ती जिन्दगी का ऐसा साथ है , जो सदा साथ दे ना छूटे कभी, दोस्त तुझसे कहूँगी मैं तो यही , मुकम्बल फ़साना है दिल का यही, तुम किसी पे फ़िदा कभी होना नहीं | - दीप्ति शर्मा