उजालों की तलाश में हूँ

ज़फर पथ पर चल रही
बिरदैत होने की फ़िराक में हूँ
अभी चल रही हूँ अँधेरों पर
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।

क़यास लगा रही जीवन का
अभी जिन्दगी के इम्तिहान में हूँ
ख्वाबों में सच्चाई तलाशती
मैं उजालों की तलाश में  हूँ ।

अल्फाज़ लिखती हूँ कलम से
आप तक पहुँचाने के इंतज़ार में हूँ
उलझनों को रोकती हुयी
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।

परछाइयों को सँभालते हुए
गुज़रे वक़्त की निगाह में हूँ
उनसे संभाल रही हूँ कदम
मैं उजालों की तलाश में हूँ ।

- दीप्ति शर्मा


Comments

Jyoti khare said…
गहरी अनुभूति
सुंदर प्रतीक शानदार कहन ---बधाई
harsh said…
bahut khoobsoorat pratimaan ke saath
====badhaai
gope.mishra60 said…
sunder pratimaan ke saath sunder kruti===badhaai
Alka Singh said…
bahut sundar dipti..................achchha laga padhakar
Sadhana Vaid said…
ये उजाले जल्दी ही आपको मिलें यही शुभकामना है ! बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
Sunil Kumar said…
बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति !
deepti sharma said…
aap sabhi ka tahe dil se shukriya

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